Panipat Movie Review: युद्ध के इर्द-गिर्द 'राजनीति' को दिखाती अर्जुन कपूर कृति सेनन की फिल्म
निर्देशक आशुतोष गोवारिकर (Ashutosh Gowariker) की 'पानीपत' (Panipat) में अर्जुन कपूर (Arjun Kapoor) और कृति सेनन (Kriti ...अधिक पढ़ें
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इस हफ्ते दो बड़ी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हो रही हैं. पहली है निर्देशक आशुतोष गोवारिकर की 'पानीपत' तो दूसरी है निर्देशक मुदस्सर अजीज की फिल्म ' पति पत्नी और वो'. ये दोनों ही बेहद अलग जॉनर की फिल्में हैं. हम यहां आपको बताने जा रहे हैं कि निर्देशक आशुतोष की फिल्म 'पानीपत' के बारे में जो एक पीरियड ड्रामा फिल्म है. फिल्म 'पानीपत' इतिहास की सबसे चर्चित लड़ाईयों में से एक पानीपत के तीसरे युद्ध पर आधारित फिल्म है. पानीपत के तीसरे युद्ध ने भारत के इतिहास में काफी कुछ बदलकर रख दिया था. आइए आपको बताते हैं कि क्या इस युद्ध पर बनी ये फिल्म लंबे समय बाद निर्देशन में वापसी कर रहे आशुतोष गोवारिकर के लिए कुछ बदल पाती है या नहीं.
कहानी: जैसा की हम बता चुके हैं कि इस फिल्म की कहानी 14 जनवरी 1761 में मराठाओं और अंग्रजों के बीच हुए 'पानीपत' के तीसरे युद्ध के ईद-गिर्द बुनी गई है. फिल्म को इसकी हीरोइन पार्वती बाई (कृति सेनन) के नजरिए से दिखाया गया है. सदाशिवराव भाऊ (अर्जुन कपूर) अपने चचेरे भाई नानासाहब पेशवा (मोनीश बहल) की मराठा आर्मी का सेनापति है. उदगीर के निजाम को हराने के बाद सदाशिवराव को मराठाओं की उस सेना का प्रमुख चुना जाता है, जो कांधार के सबसे खूंखार शासकों में से एक अहमद शाह अब्दाली (संजय दत्त) से युद्ध लड़ने के लिए आगे बढ़ती है. मराठाओं के बढ़ते वर्चस्व से डरे शासक नजीब-उद्-दौला ही अहमद शाह अब्दाली को भारत आने और मराठाओं से युद्ध करने का न्योता देता है. इस युद्ध में सदाशिव राव अपनी पत्नी पार्वती बाई को लेकर चलते हैं और कहानी में उनके बीच के प्रेम को भी दिखाया गया है. हालांकि इस युद्ध में मराठा हार जाते हैं, लेकिन मराठा जिस शौर्य के साथ लड़े उसे देखकर वह उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाता.
'पानीपत' एक ऐसी कहानी पर बनी फिल्म जिसे हमने अपनी इतिहास की किताबों में पढ़ा है, ऐसे में इसका अंत क्या होगा हमें पहले से ही पता था. लेकिन इसके बाद भी दर्शकों को ऐसी कहानी में बांध कर रखना बड़ी बात है. इस फिल्म के ट्रेलर से लेकर इसके एक्टर्स के लुक तक, 'पानीपत' की तुलना बार-बार 'बाजीराव-मस्तानी' और 'पद्मावत' जैसी फिल्मों से हो रही थी, तो एक बात साफ कर दूं कि संजय लीला भंसाली की ये दोनों फिल्में एक प्रेम कहानी थीं, जिसका नायक योद्धा था. लेकिन निर्देशक आशुतोष गोवारिकर की 'पानीपत' एक युद्ध के इर्द-गिर्द तैयार की गई कहानी है और ये अंतर साफ तौर पर इन फिल्मों में है. हालांकि आशुतोष गोवारिकर की फिल्म में आपको लव स्टोरी का एंगल भी देखने को मिलेगा.
फिल्म का सैंकेंड हाफ काफी मजेदार है. खासतौर पर फिल्म का असली हीरो यानी 'युद्ध' को काफी डिटेलिंग के साथ दिखाया गया है. अक्सर आज के समय में ये सोच पाना मुश्किल है कि उस समय पुणे से दिल्ली तक युद्ध के लिए बढ़ना कितना मुश्किल भरा रहा होगा. लेकिन भारी-भरकत तोपों को खींचने और साथ पैदल चलते सैनिकों को देखते हुए आप उस सारे दौर को बखूबी महसूस कर पाते हैं.
परफॉर्मेंस की बात करें तो ट्रेलर के साथ ही इस फिल्म में अर्जुन कपूर की काफी ट्रोलिंग हुई थी. लेकिन फिल्म में अर्जुन कपूर अपने किरदार में बिलकुल फिट बैठते हैं. अर्जुन का लंबा-चौड़ा कद, उनका शरीर और उनका एटिट्यूड इस किरदार के लिए बिलकुल ठीक है. एक ऐसा मराठा योद्धा, जिसे युद्ध करता देख अहमद शाह अब्दाली भी उसकी तारीफ करे, उसके लिए ऐसे ही एटिट्यूड की जरूरत थी जिसे अर्जुन ने काफी अच्छे से कैरी किया है.
फिल्म में कृति सेनन हर फ्रेम में काफी खूबसूरत लगी हैं. मराठी पार्वती बाई के किरदार को उन्होंने बखूबी पकड़ा है. गोवारिकर की फिल्मों की हर महिला किरदार की तरह कृति भी अपनी बात रखने वाली और अपने आत्मसम्मान पर टिके रहने वाली महिला के तौर पर नजर आई हैं और काफी जमी भी हैं. फिल्म में एक अफगानी शासक के तौर संजय दत्त ने तारीफ के काबिल काम किया है. अफगानी बोली के अंदाज से लेकर खतरनाक दिखने तक वो सबकुछ करते नजर आ रहे हैं.
ये खटकता है 'पानीपत' में
इस फिल्म में यूं तो कई अच्छाइयां हैं, लेकिन फिर भी कुछ चीजें खटकती हैं. जैसे भरतपुर के महाराज सूरजमल, जो हमेशा से ही मराठाओं के मददगार रहे थे, उन्हें इस फिल्म में पहले कॉमेडी करेक्टर और फिर एक लालची शासक के तौर पर दिखा दिया. 'पानीपत' के युद्ध में मराठाओं की कई कमियां थीं, जो उनकी हार का कारण बनीं थीं. जैसे युद्ध में महिलाओं और बच्चों को साथ लेकर चलना, रास्तें में मराठाओं द्वारा स्थानीय गांवा वालों को लूटना और सबसे बड़ी बात, जनवरी की सर्दी में युद्ध करना. लेकिन 14 जनवरी के युद्ध में खिलती धूप दिखाना जैसी कई चीजें रही हैं, जो 'क्रिएटिव लिबर्टी' के नाम पर इस फिल्म में आपको नजर आएंगी.
इस सब को नजरअंदाज कर दें तो ये फिल्म पीरियल ड्रामा फिल्म लवर्स के लिए एक अच्छी फिल्म है. इस फिल्म को मेरी तरफ से साढ़े तीन स्टार.
डिटेल्ड रेटिंग
कहानी | : | 3.5/5 |
स्क्रिनप्ल | : | 3.5/5 |
डायरेक्शन | : | 3.5/5 |
संगीत | : | अजय अतुल/5 |
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