केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में दिनभर चली चर्चा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव लोकतंत्र की ताकत का प्रतीक है, लेकिन देश ने आज नकारात्मक राजनीति देखी। यह अविश्वास प्रस्ताव देश में अस्थिरता फैलाने के लिए लाया गया। कांग्रेस में विकास के प्रति विरोध का भाव है। नकारात्मक राजनीति ने कुछ लोगों को बांधकर रखा है। उन सभी की सच्चाई सामने आई है।
मोदी ने सवाल उठाया कि जब संख्या और समर्थन नहीं था, तो अविश्वास प्रस्ताव लाया ही क्यों गया? सरकार को गिराने का इतना उतावलापन क्यों ? अगर जल्दी चर्चा नहीं होती तो क्या हो जाता ? क्या भूकंप आ जाता ? फिर कहा कि यह देश में अस्थिरता फैलाने के लिए लाया गया। प्रधानमंत्री ने शेर पढ़ा, ‘न मांझी, न रहबर, न हक में हवाएं, है कश्ती भी जर्जर, ये कैसा सफर है ?’
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल सौदे में संप्रग सरकार के कार्यकाल में एक विमान की कीमत 520 करोड़ रुपये थी। अचानक इसे 1600 करोड़ रुपये कर दिया। पीएम ने इसका कांट्रेक्ट एचएएल से लेकर अपने एक करीबी को दिया। उन्हें सीधे 35,000 करोड़ का लाभ पहुंचाया। दोनों देशों के बीच सौदे की जानकारी सार्वजनिक करने पर पाबंदी को लेकर कोई समझौता नहीं था। उन्होंने दावा किया कि खुद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने उन्हें इसकी जानकारी दी।
बिना सबूत लगाए आरोप, दूसरे देश को करना पड़ा खंडन : मोदी
पीएम ने कहा कि यहां राफेल सौदे पर बात हुई। ये दुखद है कि बिना सबूत सदन में लगाए गए झूठे आरोपों पर दूसरे देश को बयान जारी कर खंडन करना पड़ा। ये समझौता दो व्यापारियों के बीच नहीं बल्कि दो देशों के बीच हुआ है। पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ है। क्या हम ऐसी बचकानी हरकत करते रहेंगे? कुछ जिम्मेदारी है या नहीं? क्या हम बिना सबूत के ऐसे ही चिल्लाते रहेंगे? हर बार जनता ने आपको जवाब दिया। सुधरने का मौका दिया है। सुधरने की कोशिश कीजिए। क्या हर जगह बचकाना हरकत ही करते रहोगे ?’
2. चौकीदार नहीं भागीदार हैं प्रधानमंत्री : राहुल
सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए राहुल ने कहा कि पीएम चौकीदार नहीं भागीदार हैं। नोटबंदी के दौरान भाजपा अध्यक्ष के बेटे की कंपनी को 16,000 गुना लाभ हुआ, लेकिन पीएम ने चुप्पी नहीं तोड़ी। प्रधानमंत्री का कुछ कारोबारियों के साथ क्या रिश्ता है? सभी को पता है कि प्रधानमंत्री की मार्केटिंग के लिए लगाया जाने वाला पैसा कहां से आता है? ऐसे कारोबारियों को हजारों करोड़ रुपये का फायदा मिलता है।
हम भागीदार हैं, सौदागर और ठेकेदार नहीं : मोदी
मोदी ने कहा कि मैं गर्व से कहना चाहता हूं, हम चौकीदार भी हैं, भागीदार भी हैं, लेकिन न हम सौदागर हैं, न ठेकेदार हैं। हम देश के किसानों, गरीबों की पीड़ा के भागीदार हैं। हम देश के युवाओं के सपनों के भागीदार हैं। कांग्रेस का एक ही मंत्र है। या तो हम रहेंगे, नहीं रहे तो देश में अफवाहों का साम्राज्य रहेगा। अफवाहें उड़ाई जाती हैं। तकनीक भी उपलब्ध है। ये लोग इमोशनल ब्लैकमेल करके राजनीति करते हैं। इसी कारण देश का बड़ा तबका सशक्तीकरण से वंचित रहा।
3. आंख नहीं मिला पा रहे पीएम : राहुल
भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मैं सच बोल रहा हूं। इसीलिए सदन में बैठे प्रधानमंत्री मुझसे आंख नहीं मिला पा रहे हैं। वह कभी इधर देख रहे हैं और कभी उधर।
हम कौन होते हैं आपकी आंख में आंख डाल सकें : पीएम
पीएम ने कहा कि हम कौन होते हैं, जो आपकी आंख में आंख डाल सकें। आप नामदार हैं और हम कामदार हैं। इतिहास गवाह है सुभाष चंद्र बोस ने कभी आंख में आंख डालने की कोशिश की तो क्या किया गया। मोरारजी देसाई, जयप्रकाश नारायण, चौधरी चरण सिंह, सरदार वल्लभभाई पटेल, चंद्रशेखर, प्रणब मुखर्जी, शरद पवार ने आंख में आंख डालने की कोशिश की। उनके साथ क्या किया गया? मैं सारा कच्चा-चिट्ठा खोलकर रख सकता हूं। फिर चुटकी ली, ‘आंखों की बात करने वालों की आंखों की हरकतों को आज पूरे देश ने टीवी पर देख लिया। कैसे आंख खोली जा रही है, कैसे बंद की जा रही है ?’
4. वादा दो करोड़ सालाना का था, मिला सिर्फ 4 लाख को रोजगार : राहुल
प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव, 2014 के प्रचार अभियान के दौरान वादा किया था कि सभी लोगों के बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा कराए जाएंगे। साथ ही दावा किया था कि हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार दिया जाएगा, लेकिन दिए महज 4 लाख। नोटबंदी के दौरान काला धन पर सर्जिकल स्ट्राइक का दावा किया और छोटे-मझोले उद्योग खत्म कर दिए। जीएसटी ने रही सही कसर पूरी कर दी। हमने जीएसटी में एक दर की बात की थी।
रोजगार को लेकर भ्रम फैलाए जा रहे : मोदी
पीएम ने कहा कि देश में रोजगार को लेकर काफी भ्रम फैलाए जा रहे हैं। सरकार ने रोजगार के आंकड़े हर महीने अलग-अलग विभागों में उपलब्ध कराने का फैसला लिया है। पिछले साल एक करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला। वर्षों से लटके जीएसटी और वन रैंक वन पेंशन को हमने लागू किया। जो कहते हैं कि सीएम रहते मैंने जीएसटी में अड़ंगा लगाया, उन्हें बताना चाहता हूं कि मैंने तत्कालीन वित्त मंत्री से कहा था कि राज्यों की दिक्कतों को हल किए बिना इसे लागू नहीं किया जा सकता है।
अर्थ-अनर्थ में उलझे चिदंबरम की बात कुछ विद्वानों को समझ में नहीं आई
मोदी ने कहा कि कांग्रेस जमीन से कट चुकी है। वो तो डूबे हैं। यही उनके साथियों का हाल होगा। अपने आप को बहुत बड़ा विद्वान मानने वाले एक व्यक्ति ने यह बात कही थी कि कांग्रेस पार्टी अलग-अलग राज्यों में क्यों और कैसे कमजोर हो गई? उन्होंने कहा था ‘मैं एक ऐसे राज्य से आता हूं, जहां इस पार्टी का प्रभुत्व समाप्त हो गया है। क्यों? कांग्रेस इस बात को समझ नहीं पाई कि सत्ता अब उच्च वर्ग, साधन संपन्न वर्ग से निकलकर गांव-देहात के लोगों और सोशल ऑर्डर में सबसे नीचे मौजूद लोगों तक पहुंच गई है। जैसे-जैसे सत्ता नीचे की तरफ चलती गई, वैसे-वैसे कई राज्यों में कांग्रेस का प्रभाव खत्म हो गया। ये कोट 1997 का है। ये अर्थ और अनर्थ में उलझे आपके पी. चिदंबरम का वाक्य है। कुछ विद्वानों को शायद यह बात समझ नहीं आई होगी।’