11 साल में सिर से उठा मां का साया, पिता ने स्कूल वैन चलाकर बनाया क्रिकेटर, अब बना भारतीय कप्तान!
यूपी के क्रिकेटर प्रियम गर्ग (Priyam Garg) को अगले साल साउथ अफ्रीका में होने वाले अंडर 19 वर्ल्ड कप (U-19 World Cup) के ...अधिक पढ़ें
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नई दिल्ली. साउथ अफ्रीका में अगले साल होने वाले अंडर 19 वर्ल्ड कप (U-19 Cricket World Cup) के लिए जैसे ही भारतीय टीम का ऐलान हुआ, मेरठ के एक घर में खुशियों की लहर दौड़ गई. एक छोटा सा मध्यम वर्गीय परिवार बेहद खुश था क्योंकि उनके घर का सबसे छोटा सदस्य भारतीय टीम का कप्तान बन चुका था. हम बात कर रहे हैं यूपी के क्रिकेटर प्रियम गर्ग (Priyam Garg) की, जिन्हें भारतीय अंडर 19 टीम की कमान सौंपी गई है. प्रियम गर्ग हिंदुस्तान के उभरते हुए स्टार क्रिकेटर हैं. भले ही इस बल्लेबाज ने अभी आईपीएल में शिरकत नहीं की है, लेकिन प्रियम ने अबतक जितने भी मैच खेले हैं, उसमें उन्होंने अपने टैलेंट का लोहा मनवाया है.
प्रियम गर्ग (Priyam Garg) ने 11 फर्स्ट क्लास मैचों में 67.83 के बेहतरीन औसत से 814 रन बनाए हैं, जिसमें दो दोहरे शतक शामिल हैं. प्रियम गर्ग उन चंद क्रिकेटरों में शामिल हैं, जिन्होंने अंडर 14, अंडर 16 और रणजी ट्रॉफी में 2-2 दोहरे शतक ठोके हैं. यही वजह है कि प्रियम गर्ग को भारत का अगला विराट कोहली माना जाता है. वैसे प्रियम गर्ग की कहानी विराट कोहली से कुछ अलग भी नहीं है. प्रियम ने बेहद ही कम उम्र में कई कठिनाइयों का सामना किया है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने जीत की जिद नहीं छोड़ी. आइए आपको बताते हैं प्रियम गर्ग के क्रिकेटर बनने की प्रेरणादायक कहानी.
प्रियम गर्ग हैं विस्फोटक बल्लेबाज
गरीब परिवार, सिर से उठा मां का साया.
प्रियम गर्ग (Priyam Garg) जब सिर्फ 11 साल के थे, तभी उनकी मां का निधन हो गया था. प्रियम ने इतनी कम उम्र में मां को खो दिया, लेकिन उनके पिता नरेश गर्ग ने अपने बच्चे की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी. नरेश गर्ग ने अपने लाडले को मां और बाप दोनों का प्यार दिया. नरेश गर्ग बेहद ही गरीब थे, पैसों की तंगी थी. वो घर-घर जाकर साइकिल पर दूध बेचते थे. वो दोपहर में स्कूल वैन चलाकर परिवार पालते थे. पिता की मेहनत के बीच प्रियम गर्ग गलियों में क्रिकेट खेलते थे और फिर एक दिन ऐसा आया जब प्रियम ने अपने पिता से स्टेडियम जाकर क्रिकेट सीखने की जिद की. उनके पिता ने खराब आर्थिक हालत को देखते हुए उन्हें मना कर दिया. उन्होंने कहा कि हम गरीब हैं, क्रिकेट नहीं खेल सकते. पिता के इनकार करने पर प्रियम निराश नहीं हुए और वो गली में क्रिकेट खेलते रहे.
11 साल की उम्र में मां को खो दिय था
मामा ने दिलाया स्टेडियम में एडमिशन
प्रियम (Priyam Garg) का गली में क्रिकेट खेलना उस दिन सफल हुआ जब उनके मामा की नजर अपने भतीजे की बल्लेबाजी पर पड़ी. प्रियम के शॉट्स देख उनके मामा इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने प्रियम के पिता से उन्हें स्टेडियम भेजने की बात कही. बस फिर क्या था, यहीं से शुरू हो गया प्रियम की सफलता का सफर. महज 12 साल की उम्र में प्रियम गर्ग मेरठ के विक्टोरिया स्टेडियम पहुंच गए, वो रोज अपने घर से 20 किमी. दूर कंधे पर किट बैग लटकाए बस में स्टेडियम जाते थे. जहां प्रियम ने जल्द ही अपनी बल्लेबाजी से कोच का दिल जीत लिया. प्रियम गर्ग 12 साल की उम्र में अंडर 14 टीम में चुने गए जहां उन्होंने दो बार दोहरा शतक ठोका. इसके बाद अंडर 16 में भी प्रियम गर्ग ने दो दोहरे शतक ठोक यूपी में अपना नाम कर लिया.
प्रियम गर्ग ने पहले रणजी सीजन में ही 800 से ज्यादा रन ठोके
यूपी रणजी टीम में एंट्री
प्रियम गर्ग को यूपी की रणजी ट्रॉफी में एंट्री मिली और उन्होंने पहले सीजन में ही 11 मैचों में 800 से ज्यादा रन ठोक डाले. प्रियम की बल्लेबाजी ने यूपी के कप्तान अक्षदीप नाथ को बेहद प्रभावित किया. एक इंटरव्यू में अक्षदीप ने प्रियम को सबसे टैलेंटेड खिलाड़ियों में से एक बताया.
अंडर 19 वर्ल्ड कप जीतना है प्रियम का लक्ष्य
अंडर 19 कप्तान बनने के बाद प्रियम गर्ग ने अपना अगला लक्ष्य वर्ल्ड कप जीतना बनाया है. हिंदुस्तान टाइम्स अखबार से खास बातचीत में प्रियम गर्ग ने कहा, 'मैं भारत को पांचवीं बार अंडर 19 वर्ल्ड कप जिताना चाहता हूं. हम चार बार चैंपियन बने हैं और मैं अपने सीनियर खिलाड़ियों के पदचिन्हों पर ही चलना चाहूंगा. मेरे ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है और एक अरब से ज्यादा लोगों की आशा मेरे ऊपर है.'
साउथ अफ्रीका में होना है अंडर 19 वर्ल्ड कप
हर मैच से पहले सचिन को याद करते हैं प्रियम
प्रियम गर्ग ने बताया कि वो सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी देख क्रिकेटर बने हैं. प्रियम गर्ग ने कहा, 'मैं जो कुछ भी हूं सचिन तेंदुलकर की वजह से हूं. मैं अगर सचिन की बल्लेबाजी नहीं देखता तो कभी इतना आगे नहीं आ पाता. हर मैच से पहले मैं सचिन की बल्लेबाजी को याद करता हूं जो मुझे रन बनाने की ताकत देता है.'
सचिन के फैन हैं प्रियम गर्ग
उन्होंने कहा, 'हमारे घर में टीवी नहीं था और मैं इसलिए सचिन की बल्लेबाजी पान की दुकान पर देखता था. इस वजह से मुझे अपने पिता की कई बार डांट भी पड़ी. मेरे पिता के लिए क्रिकेट से ज्यादा पढ़ाई प्रमुख थी.' हालांकि इसके बावजूद प्रियम ने अपने पिता को भी गलत साबित कर दिया, जिसकी नरेश गर्ग को बेहद खुशी भी है.
नरेश गर्ग का मानना है कि अगर प्रियम गर्ग वर्ल्ड कप जीत भारत लौटते हैं तो उनसे ज्यादा कोई और खुश नहीं होगा. प्रियम गर्ग के चार भाई-बहन हैं. उनकी बहन पूजा, ज्योति, रेशू और भाई शिवम उनके साथ खड़े हैं. अब देखना ये है कि प्रियम गर्ग अपने परिवार और करोड़ों भारतीय फैंस की उम्मीदों पर खरा उतर पाते हैं?
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