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अमीर मीनाई की ग़ज़लों का जादू आज भी बरकरार है...

अमीर मीनाई की ग़ज़लों का जादू आज भी बरकरार है...
                
                                                         
                            दाग़ देहलवी के समकालीन अमीर मीनाई अपनी ग़ज़ल 'सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता' के लिए प्रसिद्ध हैं। 1976 में उस समय के नवोदित ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह नें इस ग़ज़ल को गाकर बहुत नाम कमाया था।
                                                                 
                            

यहाँ तक कि उनकी आवाज़ में यह ग़ज़ल लता मंगेशकर और आशा भोसले, दोनों की सबसे पसन्दीदा ग़ज़ल रही है। इस गज़ल को इतनी मकबूलियत मिली कि आज भी यह ग़ज़लों की महफ़िलों की शान है। इस 'आहिस्ता-आहिस्ता' का कई फ़िल्मी शायरों और गीतकारों ने समय-समय पर फ़ायदा उठाया है।  आगे पढ़ें

5 महीने पहले

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