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कीलों की चुभन का अहसास कराया तो वन विभाग की खुली आंखें
दून में रविवार को वन विभाग की ओर से पेड़ों पर लगाए गए बोर्ड हटाए गए।
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पेड़ों के ‘सीने’ में ठोकी गई कीलों के चुभन का अहसास कराया गया तो वन विभाग की आंखें खुल गई। रविवार को विभागीय अधिकारियों ने देहरादून से मसूरी तक अभियान चलाकर जगह-जगह पेड़ों पर कील ठोक कर लगाए गए होर्डिंग्स और बैनर उखाड़ फेंके। इस दौरान कई लोगों ने विरोध भी किया, लेकिन विभागीय अधिकारियों की सख्ती के आगे किसी की नहीं चली।
हरेला माह में अमर उजाला एक खास हेल्पलाइन के माध्यम से उन बीमार पेड़ों को शिनाख्त कर रहा है जो इंसानी हमले झेल रहे हैं। ऐसे पेड़ जिनकी काया पर कील ठोंककर बैनर चिपकाए गए हैं। जिनके तने लोहे की उन्हीं जालियों में फंस कर रहे गए हैं, जो कभी उनकी हिफाजत की खातिर लगाए गए थे। जड़ों की नरम माटी पर सीमेंट जमाकर जिनका गला घोंट दिया गया है। जिनके हिस्से की धूप इमारतें खा गईं हैं। इन मुसीबतज़दा दरख्तों को हमदर्दी की किसी एंबुलेंस का इंतजार है। किसी रेस्क्यू टीम के रहमोकरम का इंतजार है। अमर उजाला की इस मुहिम पर रविवार को वन विभाग हरकत में आया।
प्रमुख वन संरक्षक के आदेश पर देहरादून और मसूरी के प्रभागीय वनाधिकारियों की अगुवाई में टीमों ने अपने-अपने क्षेत्र में अभियान चलाया। देहरादून में प्रभागीय वनाधिकारी की अगुवाई में रेंजरों ने राजपुर रोड, मालसी, जाखन, रायपुर तक की सड़कों किनारे पेड़ों से होर्डिंग्स और बैनर उतारे। 100 से अधिक वनकर्मी पूरे दिन सीढ़ियों की मदद से बैनर और होर्डिंग्स उतारते रहे। देहरादून में ही 100 से ज्यादा बड़े-बड़े होर्डिंग्स और सैकड़ों छोटे-छोटे होर्डिंग्स और बैनर उतार कर जब्त कर वाहनों से कार्यालय पहुंचाया गया।
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मसूरी में प्रभागीय वनाधिकारी कहकशां नसीम के निर्देश पर रेंजरों की अगुवाई में अभियान चलाया गया। राजधानी में विज्ञापन वाले होर्डिंग्स और बैनर लगाने वालाें में निजी कंपनियों के साथ-साथ सरकारी एजेंसियां भी शामिल हैं।
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पेड़ों पर कील ठोककर विज्ञापन लगाना गैरकानूनी है। ऐसा करने वालों के खिलाफ वृक्ष संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल रविवार से अभियान शुरू कर दिया गया है। अभियान जारी रहेगा। होर्डिंग्स और बैनर लगाने वाले चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
...राजीव धीमान, प्रभागीय वनाधिकारी
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