नई दिल्ली : भारत की तीन प्राचीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती से प्रेरणा लेते हुए, आर्टिस्ट हिम चटर्जी ने प्रगति मैदान सुरंग की दीवारों को सजाया। इसमें रिंग रोड पर दो एग्जिट गेट और एक एंट्री गेट है। हालांकि यह बेहद चौंकाने वाला है कि दो साल बाद ही ये सुरंग लगभग नदी जैसी बन गई है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि ये जिस जगह पर बनाई गई वो कभी यमुना नदी का बाढ़ एरिया था। गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों से प्रेरित पेंटिंग से सजा प्रगति मैदान टनल पानी के रिसाव की समस्या का सामना कर रही है। इसकी समस्याओं पर गौर करें तो जगह-जगह गड्ढे और दरारें, तेज जल स्तर और पानी की ठीक से निकासी नहीं होना अहम है। जलजमाव की वजह से अकसर यहां हादसे का डर भी बना रहता है।प्रगति मैदान टनल का बुरा हाल!
टनल की दीवारों, छत और जमीन से लगातार पानी का रिसाव देखने को मिलता है। जिसके चलते टनल में कई जगह गड्ढे और दरारें आ गई हैं। जानकारों के मुताबिक, प्रगति मैदान टनल के डिजाइन में बड़ी खामियां सामने आई हैं, जिन्हें अभी तक ठीक नहीं किया गया है। लोक निर्माण विभाग ने सड़क के बुनियादी ढांचे के निर्माण और रखरखाव के लिए जिम्मेदार निजी फर्म एलएंडटी को इन कमियों के संबंध में एक कानूनी नोटिस जारी किया है।
क्यों उठ रहे इस प्रोजेक्ट पर सवाल
यमुना एक्टिविस्ट और बांध, नदी और लोगों पर दक्षिण एशिया नेटवर्क के एसोसिएट कॉर्डिनेटर भीम सिंह रावत ने बताया कि जिस क्षेत्र में प्रगति मैदान सुरंग स्थित है वह मूल रूप से यमुना का बाढ़ क्षेत्र था। पिछले कुछ साल में, ऊपर और नीचे दोनों तरफ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट ने नदी के घुमाव एरिया को काफी हद तक प्रभावित किया है। ऐसे में यमुना का प्रवाह आसानी से मौजूदा सुरंग वाली जगह तक पहुंच सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि नदी तट से सुरंग की दूरी 200 मीटर से कम है।
जलजमाव के चलते आवाजाही हुई मुश्किल
दूसरे एक्सपर्ट्स ने भी कहा कि प्रगति मैदान टनल के निर्माण से पहले उचित हाइड्रोजियोलॉजिकल एनालिसिस किया जाना चाहिए था। आईआईटी-दिल्ली के प्रोफेसर एमेरिटस एके गोसाईं ने कहा कि यमुना के आसपास का एक विशाल क्षेत्र नदी का बाढ़ क्षेत्र डेवलप करता है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में तटबंधों के निर्माण से फ्लड एरिया का क्षेत्रफल कम हो गया है। प्रगति मैदान सुरंग इसी भूमि पर बनाई गई है और जब भी यमुना में जल स्तर बढ़ता है, तो नदी से रिसाव के कारण आस-पास के इलाके में पानी का दबाव भी बढ़ जाता है। यह अंडरपास भैरों मार्ग से जुड़ता है और अंडरग्राउंड पार्किंग की ओर भी जाता है। भारत मंडपम में गेट नंबर 6 के सामने सुरंग का एंट्री गेट है, यहां भी ज्यादातर समय टपकता रहता है और लगभग एक महीने से यातायात के लिए बंद है।
टनल निर्माण कंपनी को नोटिस
वर्तमान में, टनल के रिंग रोड एंट्री गेट से इंडिया गेट की ओर वाली लेन पर जल निकालने की व्यवस्था ठीक करने के लिए मरम्मत का काम चल रहा है। हालांकि, पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या निजी ठेकेदार, एलएंडटी ने कानूनी नोटिस का जवाब दिया था और मरम्मत शुरू कर किया।
- पिछले 25 साल में बारिश की स्थिति को लेकर स्टडी
- पानी के बहाव की निकासी को लेकर नया नेटवर्ट
- हाई वेलोसिटी प्रेशर के पंपिंग सेट
- मथुरा रोड, भैरों मार्ग, पुराना किला रोड और रिंग रोड को हाई प्वाइंट पर बनाया गया जिससे पानी जमाव नहीं हो सके
- वॉटर प्रूफिंग की डबल प्रोटेक्शन, इंटरनल क्रिस्टलाइन और बाहर से शीटिंग
- पूरे ट्रांजिट कॉरीडोर में जलजमाव और अव्यवस्थित ड्रेनेज
- पूरे कॉरीडोर में पानी के ड्रेनेज का अभाव
- टनल की छत और कई जगहों पर पानी का लगातार टपकना
* टनल की लंबाई 1.6 किलोमीटर
* टनल को 6 लेन में डिवाइड किया गया है
* पूरे प्रोजेक्ट में 723 करोड़ का आया खर्च
* टनल से एक लाख 14 हजार कार रोजाना गुजरती हैं
* इसका निर्माण 2018 में शुरू हुआ और 2022 में तैयार हुआ
* इस टनल का अंडरपास नंबर 5 ट्रांजिट कॉरीडोर अभी भी अधूरा है
प्रगति मैदान टनल का बुरा हाल!
टनल की दीवारों, छत और जमीन से लगातार पानी का रिसाव देखने को मिलता है। जिसके चलते टनल में कई जगह गड्ढे और दरारें आ गई हैं। जानकारों के मुताबिक, प्रगति मैदान टनल के डिजाइन में बड़ी खामियां सामने आई हैं, जिन्हें अभी तक ठीक नहीं किया गया है। लोक निर्माण विभाग ने सड़क के बुनियादी ढांचे के निर्माण और रखरखाव के लिए जिम्मेदार निजी फर्म एलएंडटी को इन कमियों के संबंध में एक कानूनी नोटिस जारी किया है।क्यों उठ रहे इस प्रोजेक्ट पर सवाल
यमुना एक्टिविस्ट और बांध, नदी और लोगों पर दक्षिण एशिया नेटवर्क के एसोसिएट कॉर्डिनेटर भीम सिंह रावत ने बताया कि जिस क्षेत्र में प्रगति मैदान सुरंग स्थित है वह मूल रूप से यमुना का बाढ़ क्षेत्र था। पिछले कुछ साल में, ऊपर और नीचे दोनों तरफ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट ने नदी के घुमाव एरिया को काफी हद तक प्रभावित किया है। ऐसे में यमुना का प्रवाह आसानी से मौजूदा सुरंग वाली जगह तक पहुंच सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि नदी तट से सुरंग की दूरी 200 मीटर से कम है।जलजमाव के चलते आवाजाही हुई मुश्किल
दूसरे एक्सपर्ट्स ने भी कहा कि प्रगति मैदान टनल के निर्माण से पहले उचित हाइड्रोजियोलॉजिकल एनालिसिस किया जाना चाहिए था। आईआईटी-दिल्ली के प्रोफेसर एमेरिटस एके गोसाईं ने कहा कि यमुना के आसपास का एक विशाल क्षेत्र नदी का बाढ़ क्षेत्र डेवलप करता है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में तटबंधों के निर्माण से फ्लड एरिया का क्षेत्रफल कम हो गया है। प्रगति मैदान सुरंग इसी भूमि पर बनाई गई है और जब भी यमुना में जल स्तर बढ़ता है, तो नदी से रिसाव के कारण आस-पास के इलाके में पानी का दबाव भी बढ़ जाता है। यह अंडरपास भैरों मार्ग से जुड़ता है और अंडरग्राउंड पार्किंग की ओर भी जाता है। भारत मंडपम में गेट नंबर 6 के सामने सुरंग का एंट्री गेट है, यहां भी ज्यादातर समय टपकता रहता है और लगभग एक महीने से यातायात के लिए बंद है।टनल निर्माण कंपनी को नोटिस
वर्तमान में, टनल के रिंग रोड एंट्री गेट से इंडिया गेट की ओर वाली लेन पर जल निकालने की व्यवस्था ठीक करने के लिए मरम्मत का काम चल रहा है। हालांकि, पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या निजी ठेकेदार, एलएंडटी ने कानूनी नोटिस का जवाब दिया था और मरम्मत शुरू कर किया।प्रगति मैदान टनल को लेकर दावे
- पूरी तरह से ऑटोमेटेड ड्रेनेज सिस्टम- पिछले 25 साल में बारिश की स्थिति को लेकर स्टडी
- पानी के बहाव की निकासी को लेकर नया नेटवर्ट
- हाई वेलोसिटी प्रेशर के पंपिंग सेट
- मथुरा रोड, भैरों मार्ग, पुराना किला रोड और रिंग रोड को हाई प्वाइंट पर बनाया गया जिससे पानी जमाव नहीं हो सके
- वॉटर प्रूफिंग की डबल प्रोटेक्शन, इंटरनल क्रिस्टलाइन और बाहर से शीटिंग
रियलिटी भी जान लीजिए
- टनल में लगातार पानी का लीकेज, खास तौर पर एक्पेंश ज्वाइंट्स पर- पूरे ट्रांजिट कॉरीडोर में जलजमाव और अव्यवस्थित ड्रेनेज
- पूरे कॉरीडोर में पानी के ड्रेनेज का अभाव
- टनल की छत और कई जगहों पर पानी का लगातार टपकना
प्रोजेक्ट की बड़ी बातें
* टनल की लंबाई 1.6 किलोमीटर* टनल को 6 लेन में डिवाइड किया गया है
* पूरे प्रोजेक्ट में 723 करोड़ का आया खर्च
* टनल से एक लाख 14 हजार कार रोजाना गुजरती हैं
* इसका निर्माण 2018 में शुरू हुआ और 2022 में तैयार हुआ
* इस टनल का अंडरपास नंबर 5 ट्रांजिट कॉरीडोर अभी भी अधूरा है