कुछ तो बात है उस कागज में
जिसने सबको झुकना सिखा दिया
कहीं किसी को दोस्त दिए
तो कहीं किसी को बेगाना बना दिया
कहीं इंसान को घमण्ड दिया
तो कहीं लोगो को जिंदा जलवा दिया
कहीं घर से बेघर किया
तो कहीं दूसरे शहरों में पहुँचा दिया
कहीं किसी को पढ़ने न दिया
तो कहीं किसी को चोर बना दिया
कुछ तो बात है उस कागज में
जिसने सबको झुकना सिखा दिया
कहीं किसी की मुहब्बत छिनी
तो कहीं किसी ने अपना मतलब ही निकल लिया
कहीं किसी ने रात भर जाग के सफर किया
तो कहीं किसी को वातानुकूलित सफर करा दिया
कहीं किसी को कुछ न मिला उम्र भ र गीत गाने से
तो कहीं किसी को चंद लफ़्ज़ों ने शायर बना दिया
कुछ तो बात है उस कागज में
जिसने सबको झुकना सिखा दिया
कहीं किसी को आलीशान महल दिया
तो कहीं किसी को सड़क किनारे सुला दिया
किसी को उम्र भर प्रेम नसीब न हुआ
तो कहीं किसी ने किसी के लिए ताजमहल बनवा दिया
कहीं किसी को तड़पन से मौत ने सुला दिया
तो कहीं किसी को कैंसर से भी बचा लिया
कहीं किसी को शासन मिला
तो कहीं किसी को उम्र भर गुलाम बना दिया
कुछ तो बात जरूर है इस कागज़ में
जिसने सबको झुकना सिखा दिया
कोई चैन से सोया तो कोई रात भर रोया,
ये ज़िन्दगी है साहब हर किसी को हर दिन दिखा दिया,
अब तो सत्ता भी चलती है इस कागजों से,
इस कागज़ ने सबको बिकना सीखा दिया
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6 वर्ष पहले
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