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भारतीय संस्कृति को बचाने की पहल, विलुप्त होती कलाओं को संवार रहे आइआइटीयंस

आइआइटी रुड़की के छात्रों का एक समूह भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य और देश से विलुप्त होती जा रही कलाओं को नवजीवन देने में जुटा है। स्पिक मैके से जुड़े यह युवा भारतीय संस्कृति को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं।

By BhanuEdited By: Published: Sun, 06 Aug 2017 05:39 PM (IST)Updated: Sun, 06 Aug 2017 05:39 PM (IST)
भारतीय संस्कृति को बचाने की पहल, विलुप्त होती कलाओं को संवार रहे आइआइटीयंस
भारतीय संस्कृति को बचाने की पहल, विलुप्त होती कलाओं को संवार रहे आइआइटीयंस

रुड़की, [रीना डंडरियाल]: जब देश के युवाओं को पश्चिम का सम्मोहन अपनी ओर खींच रहा हो, तब आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) रुड़की के छात्रों का एक समूह भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य और देश से विलुप्त होती जा रही कलाओं को नवजीवन देने में जुटा है। स्पिक मैके से जुड़े ये युवा बच्चों और युवाओं को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति एवं कलाएं पूरी दुनिया को अपनी ओर खींच रही हैं, तब देश के युवा इससे मुंह क्यों मोड़ रहे हैं। 

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स्पिक मैके के आइआइटी रुड़की चैप्टर की शुरुआत 1985 में हुई थी। वर्तमान में विभिन्न विभागों के बीटेक, एमटेक और पीएचडी के 70 छात्र-छात्राएं स्पिक मैके के साथ जुड़े हैं। यह छात्र जहां अपना भविष्य को संवारने को कड़ी मेहनत कर रहे हैं, वहीं भावी पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से भी जोड़ रहे हैं। स्पिक मैके के आइआइटी रुड़की चैप्टर की ओर से विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति और कलाओं के धनी कलाकारों को सम्मान देने और विलुप्त होती जा रही कलाओं को फिर से नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए संस्थान परिसर में सालभर समय-समय पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके माध्यम से संस्थान के छात्रों के साथ ही देशभर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के छात्रों को भारतीय संस्कृति और कलाओं के विविध पक्षों से परिचित कराया जाता है। 

दिसंबर 2015 में पहली बार स्पिक मैके की ओर से आइआइटी रुड़की में विंटर कन्वेंशन का आयोजन किया गया। एक सप्ताह तक चले इस कन्वेंशन में देशभर के विभिन्न शहरों के स्कूल-कॉलेज और संस्थानों से छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इसमें भारतीय संस्कृति को सहेजने वाली देश की जान-मानी हस्तियों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। चैप्टर की ओर से कथक, भरतनाट्यम, संगीत, आर्ट एंड क्राफ्ट जैसी कार्यशालाएं भी आयोजित की जाती हैं। जिसमें छात्र-छात्राएं बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। 

आइआइटी के छात्र और स्पिक मैक के सदस्य चिराग ने बताया कि वह बीते चार साल से स्पिक मैके के साथ जुड़े हुए हैं। उनका मकसद भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ ही युवा वर्ग को देश के विभिन्न राज्यों की कलाओं से परिचित करवाना है। 

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