बच्चे को निमोनिया हुआ है या सामान्य सर्दी जुकाम? ऐसे करें पहचान
निमोनिया से बचने का सबसे सही तरीका है टीकाकरण. न्यूमोकॉकल वैक्सीन, पीसीवी 13, हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी, यह वैक्सीन ...अधिक पढ़ें
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नई दिल्ली. सर्दी के मौसम में ज्यादातर बच्चे सर्दी-जुकाम और वायरल से ग्रस्त हो जाते हैं. हालांकि जहां सर्दी-जुकाम कुछ दिन में सामान्य हो जाता है वहीं निमोनिया महज 4-6 दिन के अंदर ही जानलेवा हो जाता है. आंकड़े बताते हैं कि हर साल 5 साल से कम उम्र के हजारों बच्चों की जान निमोनिया के चलते चली जाती है. वहीं विशेषज्ञों की मानें निमोनिया में बच्चों की जान बचाई जा सकती है लेकिन ज्यादातर मामले देरी के आते हैं. बच्चों में सामान्य सर्दी-जुकाम समझने और निमोनिया की पहचान न होने के चलते समय पर इलाज नहीं मिल पाता और उनकी जान चली जाती है. ऐसे में जरूरी है कि निमोनिया के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर तत्काल बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए.
फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन और पीडियाट्रिशियन डॉ. डीके गुप्ता कहते हैं कि सर्दी शुरू होते ही ओपीडी में ज्यादातर बच्चे निमोनिया से ग्रस्त मिल रहे हैं. चूंकि बच्चों की मौत की प्रमुख वजह निमोनिया होती है. ऐसे में निमोनिया के लक्षणों को समय से पहचान कर इलाज शुरू कर बच्चों को बचा सकते हैं. पेरेंट्स को खास ध्यान रखना चाहिए कि वे कॉमन कोल्ड समझकर निमोनिया को नजरअंदाज न करें. कुछ चीजों को नोटिस करके पेरेंट्स निमोनिया की पहचान कर सकते हैं.
ऐसे करें निमोनिया और सामान्य सर्दी के बीच में अंतर
- सामान्य सर्दी के लक्षण
– सामान्य सर्दी में हल्की या तेज खांसी रहती है.
– खांसी के साथ पारदर्शी या सफेद रंग का बलगम आता है. कभी कभी पीला बलगम भी हो सकता है.
– छींके आती हैं. सुबह-सुबह उठते ही या जमीन पर पैर रखते ही छींकें आती हैं.
– हल्का बुखार या थकान रहती है.
– नाक बहती है. रात में सोते समय नाक बंद हो जाती है और बच्चे को सोने में परेशानी होती है.
– सीने में जकड़न, गले में खराश और सिरदर्द भी हो सकता है.
– नाक और मुंह लाल रहता है.
– बच्चे को ठंड लगती है. - निमोनिया के लक्षण
– निमोनिया में सांस तेज-तेज चलती है. बच्चे को सांस लेने में तकलीफ भी होती है.
-कफ या बलगम पैदा करने वाली खांसी होती है. इस दौरान बलगम पीले, हरे रंग का हो सकता है. यहां तक कि बलगम में खून के छींटे भी आ सकते हैं.
-निमोनिया में बच्चे को अत्यधिक थकान रहती है.
-भूख में कमी आ जाती है. बच्चा दूध नहीं पीता है या दूध पीने में उस परेशानी होती है.
-बच्चे को पसलियों या सीने में दर्द होता है. कई बार खांसने या छींकने पर भी होता है.
– आंख, कान और गले में भी दर्द हो सकता है, साथ ही त्वचा पर लाल रेशेज हो सकते हैं.
-तेज ठंड के साथ बुखार आता है. कई बार यह बुखार 100 डिग्री फारेनहाइट से भी ज्यादा हो सकता है.
-बच्चे को पसीना आता है और ठंड भी लगती है.
-कई बार जी मिचलाता है और उल्टियां भी हो सकती हैं.
ऐसे होता है निमोनिया
डॉ. गुप्ता कहते हैं कि इस मौसम में बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है. सर्दी में बच्चों को निमोनिया का खतरा अधिक होता है. बच्चों को ठंड से बचाना. चाहिए. उन्हें पूरे कपड़े पहना कर रखें. कान ढककर रखें. निमोनिया संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने से संक्रमण की बूंदें हवा में फैलती हैं. नतीजतन, जब अन्य लोग सांस लेते हैं, तो वे इनके संपर्क में आकर संक्रमित हो जाते हैं.खास बात है कि सामान्य सर्दी के बाद जब बच्चे के श्वसन तंत्र में पस और पानी का मिश्रण बनने लगता है तो निमोनिया होता है. ध्यान देने वाली बात है कि जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगाई गई है उन्हें निमोनिया का अधिक खतरा है.
निमोनिया से ऐसे करें बचाव
निमोनिया से बचने का सबसे सही तरीका है टीकाकरण. न्यूमोकॉकल वैक्सीन, पीसीवी 13, हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी, यह वैक्सीन आपको बैक्टेरियल निमोनिया से बचा सकती हैं. इसके साथ ही साबुन या हैंडवॉश से नियमित रूप से बच्चों के हाथों को धुलवाते रहें. निमोनिया संक्रमित लोगों की ड्रॉपलेट से फैलता है इसलिए ऐसे लोगों से फेस टू फेस संपर्क से बचें. खांसते और छींकते समय मुंह को ढकना भी जरूर है. इसके अलावा बच्चों को सिखाएं कि कोहनी पर छींक कर खुद के हाथों को संक्रमित करने से बच सकते हैं.
निमोनिया से ऐसे करें बचाव
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