- Hindi News
- National
- Election Commission's Letter To Political Parties Is Nothing But A Pile Of Dust
भास्कर ओपिनियनमुफ़्त की रेवड़ियां:राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग की चिट्ठी धूल में लट्ठ के सिवाय कुछ नहीं
- कॉपी लिंक
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पिछले महीने कहा था कि चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियाँ जो मुफ़्त की रेवड़ियाँ बाँटती फिरती हैं, उन पर लगाम लगाइए। झूठे-सच्चे वादों की पड़ताल कीजिए और तय कीजिए कि जो वादे किए जाते हैं उनका राज्यों के ख़ज़ाने पर क्या फ़र्क़ पड़ता है और ऐसे वादे प्रैक्टिकल होते भी हैं या नहीं।
महीने भर बाद ही सही चुनाव आयोग को अपनी ज़िम्मेदारी याद आई और उसने बहुत ही शालीन तरीक़े से सभी पार्टियों को एक चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में कहा गया है कि आप जो मुफ़्त की रेवड़ी बाँटते हैं, अब उसका हिसाब भी जनता को देना होगा। घोषणा-पत्रों में किए गए वादों का फाइनेंशियल इम्पैक्ट बताना होगा। हालाँकि, क़ानूनी तौर पर इस चिट्ठी का कोई मतलब नहीं है।
राजनीतिक दलों से कहा गया है कि वे इस चिट्ठी पर अपने सुझाव 19 अक्टूबर तक चुनाव आयोग को भेज दें। जबकि दिवाली के तुरंत बाद गुजरात चुनावों की घोषणा हो ही जाएगी और जिस गति से आयोग चल रहा है, इन चुनावों में तो मुफ़्त की रेवड़ियों का कुछ होने वाला नहीं है।
गुजरात और हिमाचल चुनाव में तो अब भी नेता पहले की तरह ही आसमान सिर पर उठाए रहेंगे। वोटों के लिए। सीटों के लिए। सत्ता की खातिर...। बड़े ठंड के दिन होंगे। आम आदमी तक धूप भी वक़्त से आने नहीं देंगे। उसे भी देर सुबह तक छत पर टाँगे रहेंगे। बयानों, झूठे वादों और मुफ़्त की रेवड़ियों का गर्द- ओ- ग़ुबार हर तरफ़ होगा।
हर किसी का जी सहमा- सहमा, डरा- डरा- सा रहेगा। कोई ताल ठोंक रहा होगा, लेकिन ताल में नहीं, बेताल। कोई गड़े मुर्दे उखाड़ रहा होगा, लेकिन क़ब्रिस्तान क्या, पूरा शहर खोद डालेंगे फिर भी प्यास के सिवाय कुछ निकल नहीं पाएगा। असल आम आदमी की जान पर बन आएगी। कोई सुनने वाला नहीं होगा। हालात बेक़ाबू और आँखें दर्द से लाल हो जाएँगी।
जैसे रात रोज़ एक चाँद बेलती है और उसे रोटी बताकर हमें चिढ़ाती है, वैसे ही वादों, घोषणाओं का जाल हर तरफ़ होगा। बयानों से हमारा सारा संसार भरा पड़ा होगा। चैनलों के भोंपू बयानों के हिज्जे ऐसे करेंगे जैसे दुनिया मिटने वाली है और सारी कायनात इन बेतुके बयानों, वादों और रेवड़ियों से ही बचने वाली है ... और कोई चारा नहीं। ... और कोई रास्ता नहीं।
कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश था इसलिए चुनाव आयोग ने मियाद बीतने से पहले राजनीतिक पार्टियों को एक चिट्ठी लिखकर अपनी ज़िम्मेदारी की इतिश्री कर ली है। होना-जाना कुछ नहीं है। वैसे भी टीएन शेषन के पहले और बाद में तो चुनाव आयोग नाम की चिड़िया हमेशा से सत्ता पक्ष के पिंजरे में ही बंद रही है।
एक शेषन ही थे जिन्होंने भारत के लोगों को यह बताया था कि चुनाव आयोग भी कुछ होता है और वह किसी सरकार, किसी राजनीतिक पार्टी की धरोहर नहीं। उनके पहले और बाद में तो सत्ताधारी दल के इशारे पर मतदान की तारीख़ें तक तय होती रहीं। इसलिए लिजलिजे आयोग से वैसे भी किसी एग्रेसिव सुधार की कल्पना करना बेमानी है।
लोकसभा चुनाव 2024 की ताजा खबरें, रैली, बयान, मुद्दे, इंटरव्यू और डीटेल एनालिसिस के लिए दैनिक भास्कर ऐप डाउनलोड करें। 543 सीटों की डीटेल, प्रत्याशी, वोटिंग और ताजा जानकारी एक क्लिक पर।
आतंकी गुट बोला- डीजी की हत्या गृहमंत्री के लिए तोहफा: हिंदुत्ववादी शासन को हमारी चेतावनी, हम कहीं भी टारगेट हिट कर सकते हैं
मोदी और जेलेंस्की की फोन पर बातचीत: PM ने कहा- रूस और यूक्रेन जंग का सैन्य समाधान नहीं, एटमी ठिकाने महफूज रहने चाहिए
चुनावी स्कीम्स पर राजनीतिक दलों को EC की चिट्ठी: जनता को बताएं कि जो वादे किए, उन्हें पूरा करने फंड कैसे जुटाएंगे
तेलंगाना में TRS नेता ने फ्री में बांटी चिकन-शराब: KCR दशहरे पर लॉन्च करेंगे राष्ट्रीय पार्टी, इसी खुशी में मनाया जश्न