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Supreme Court: CAA के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर शीर्ष कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, 31 अक्तूबर को अगली सुनवाई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: निर्मल कांत Updated Mon, 12 Sep 2022 05:32 PM IST
सार

सीएए, 11 दिसंबर 219 को संसद द्वारा पारित किया गया था। इसके बाद देशभर में इसका खिलाफ व्यापक प्रदर्शन हुए थे। सीएए 10 जनवरी 2020 को लागू हुआ था।

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Supreme Court posted hearing on October 31 petitions challenging CAA 2019 and sought Centres response
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सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को नागरिकता संसोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई के लिए 31 अक्तूबर की तारीख तय की है। अदालत ने कुछ नई दलीलों पर केंद्र से जवाब भी मांगा है। 


भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट की पीठ ने कहा कि वह मामले को सुनवाई के लिए तीन सदस्यीय जजों की पीठ को रेफर करेंगे। 
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एसजी के कार्यालय को दिया आदेश
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि सॉलिसिटर जनरल (एसजी) का कार्यालय इन मामलों से जुड़ी चुनौतियों की पूरी सूची तैयार करेगा। 

सर्वोच्च न्यायालय में 220 याचिकाएं दाखिल
सीएए के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में 220 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। सर्वोच्च अदालत में याचिका पर पहली बार 18 दिसंबर 2019 को सुनवाई हुई थी। वहीं इस पर आखिरी बार 15 जून 2021 को सुनवाई हुई। 

11 दिसंबर 2019 को संसद से पारित हुआ था कानून
यह कानून 11 दिसंबर 219 को संसद द्वारा पारित किया गया था। इसके बाद देशभर में इसका खिलाफ व्यापक प्रदर्शन हुए थे। सीएए 10 जनवरी 2020 को लागू हुआ था।  

सीएए के खिलाफ इन नेताओं ने दाखिल की है याचिका
इस कानून के खिलाफ केरल के इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नेता असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस नेता देवव्रत सैकिया, गैर सरकारी संगठन रिहाई मंच और सिटिजंस अंगेस्ट हेट, असम एडवोकेट्स एसोसिएशन और कानून के छात्रों समेत अन्य ने याचिका दाखिल की थी। 

संशोधित कानून में क्या है?
संशोधित कानून में 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिघ, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदाय को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जनवरी 2020 के दूसरे सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा था। 

हालांकि कोविड महामारी के कारण लगे प्रतिबंधों के कारण मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी। याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए सर्वोच्च अदालत ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल के.के.वेणुगोपाल से नागरिकों को कानून के बारे में जागरूक करने के लिए ऑडियो -विजुअल माध्यम का सहारा लेने पर विचार करने का निर्देश दिया था। 
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